Hindi - Dukh Ka Adhikar Question & Answer | दुःख का अधिकार Q&A
Dukh Ka Adhikar Question & Answer | दुःख का अधिकार
Summary:
प्रस्तुत कहानी देश में फैले अंधविश्वास और ऊंच-नीच के भेदभाव को बेनकाब करते हुए यह बताती है कि सुख की अनुभूति सभी को समान रूप से होती है | कहानी धनी लोगों की अमानवीयता और गरीबों की मजबूरी को भी पूरी गहराई से उजागर करती है | यह सही है कि दुःख सभी को तोड़ता हैं, दुःख में मातम मनाना हर कोई चाहता है, दुःख के क्षण सामने होने पर सब विवश हो जाते हैं, पर इस देश में ऐसे भी अभागे लोग हैं जिन्हें न तो दुःख मनाने को अधिकार है ना अवकाश |
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निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए:
Q1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चल चलता है?
A1. किसी व्यक्ति की पोशाक से धनी- निर्धन, शिष्ट-अशिष्ट, शहरी-ग्रामीण, शिक्षित-अशिक्षित का पता लग जाता है | पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्जा निश्चित करती है |
Q2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था ?
A2. खरबूजे बेचने वाली स्त्री के जवान बेटे की मृत्यु एक दिन पहले ही हुई थी| वह फुटपाथ पर बैठकर कपड़े से मुंह छिपाए सिर को घुटने पर रख रो रही थी | इसलिए कोई उससे खरबूजे नहीं खरीद रहा था |
(The young son of the woman who sells melons died a day before. She sat on the pavement and hid her face with a cloth and kept her head on her knees. That's why no one was buying melons from her.)
Q3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा ?
A3. उस स्त्री को रोता देखकर लेखक के मन में एक व्यथा-सी उठी | उसके रोने का कारण जानने की इच्छा हुई | यह देखकर उन्हें हैरान हुआ कि लोग सहानुभूति के बजे उससे घृणा कर रहे थे |
(Seeing thewoman crying, a grief arose in the writer's mind. He wished to know the reason for his crying. He was surprised to see that people were hating the lady instead of giving her sympathy)
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